Menu
blogid : 21389 postid : 1132604

दिल्ली के भिखारी और उन्हें भीख देने वाले लोग …

Meri Baat
Meri Baat
  • 6 Posts
  • 4 Comments

पूरी दुनिया की तरह दिल्ली की पब्लिक ट्रांसपोर्ट बस सेवा अपनी सर्विस के लिए जानी जाती है | मेरे जैसे लोगों के लिए तो ये जीवनदायनी जैसी है | जिसके सहारे रोजाना हम अपने काम धंधों के लिए आते जाते है | ऐसे में यदि बस में कोई मांगने वाला या फिर भिखारी मिल जाये तो हम ऐसे मुंह बनाते है जैसे बिल्ली रास्ता काट गयी हो |
इन भिखारियों में कुछ दिव्यांग (विकलांग) होते है तो कुछ अपने छोटे बच्चे के साथ | कुछ मांगने वालों ने तो बाकायदा लिखित या रिकॉर्डिंग रूप से कुछ न कुछ देने की अपील भी अपने पास रखी हुई है | लेकिन भिखारियों से पीछा छुड़ाने के लिए हम सभी तरह तरह के बहाने बनाने में उस्ताद हो चुके है | जिन्हें ये बहाने बनाने की गुण नहीं आता वो चुपचाप उन्हें एक कर्ज़दार की भांति कुछ न कुछ देते है | लेकिन हममें से कुछ तो ऐसे है जो ऐसे भीख मांगने वालों को छुट्टा नहीं है कहकर टाल देते है तो कुछ आगे बढ़ो बाबा कहकर अपना मुंह घुमा लेते है | कुछ समाजसेवी टाइप लोग तो उन्हें कुछ देने की बजाये कुछ काम करने की सलाह देना शुरू कर देते है और अपनी सलाह को समाप्त करते है एक लम्बे चौड़े भाषण के साथ | भिखारियों से बचने वाले लोग आपस में कानाफूसी वाले अंदाज़ में सरकार को कोसना शुरू कर देते है जैसे कि सरकार ने ही इन्हें अधिकार दिया दो कि सड़क की बजाये बस में जाकर भीख मांगों !! लेकिन दिल्ली तो है ही दिल वालों की तो इसलिए भिखारी और भीख देने वाले भी अपनी तरह से इस समाज सेवा को करते रहते है |
भिखारियों की चर्चा हो रही है तो यहाँ यह भी जानना जरुरी है किसी का भीख मांगना और भीख देना दोनों ही क़ानून की दृष्टि से अपराध है | दिल्ली सरकार की आधिकारिक वेबसाइट की माने तो दिल्ली में सन 1960 से द बोम्बे प्रिवेंशन ऑफ़ बैगिंग एक्ट, 1959 लागू है ज्यादा जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करे : http://goo.gl/fgUu6R | लेकिन ये दिल्ली सरकार और उसके अधिकारी ही बता सकते है कि इस कानून का कितना पालन हो पाया |
(इस लेख के माध्यम से किसी का मजाक बनाने का कोई इरादा नहीं है | सिर्फ लोगो की सोच को शब्दों के माध्यम से उकेरने का प्रयास किया गया है )

Tags:               

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh